The smart Trick of hindi story That No One is Discussing
The smart Trick of hindi story That No One is Discussing
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गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा चलता था। उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी। चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था, उसने शरबत पीना था।
नैतिक शिक्षा – जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता।
Image: Courtesy Amazon It is a critically acclaimed satirical Hindi novel penned by Shrilal Shukla and printed in 1968. This Hindi fiction ebook provides a scathing critique from the socio-political landscape of rural India. Set in the fictional city of Shivpalganj, the narrative unfolds through the eyes of your protagonist, Ranganath, a younger male who returns to his ancestral village to Get better from an disease.
उत्तरा नाम के एक गाँव में कुसलनाथ नाम का एक पुजारी अपनी पत्नी और छह बेटों के साथ रहता था। वह धनी-मानी व्यक्ति था लेकिन कुछ दुर्भाग्य के कारण उसे पैसों की समस्या होने लगीं। स्थिति इतनी खराब थी कि पुजारी को जीवन यापन के लिए अतिरिक्त काम करने पड़े। वह जंगल से बांस की लकड़ी इकट्ठा करता था। एक दिन उसने जंगल की आग में फंसे एक छोटे से नाग को देखा। जैसे ही उसने नाग को बचाया, उसने उसे काटने की कोशिश की। इसके बाद पुजारी रोने लगा। नाग ने महसूस किया कि पुजारी सिर्फ उसकी मदद कर रहा था और उसे काटना गलत था। उसने अपने परिवार की भलाई के लिए पुजारी को click here दो रत्न भेंट किए। पुजारी ने फिर उसी स्थान पर नाग के सम्मान में एक छोटा मंदिर बनवाया।
यह कहानी पंचतंत्र या ईसप की सूत्र कथाओं की तरह है, लेकिन मौजूदा दौर में भोगवादी (हेडोनिस्ट या फिलिस्टिनिस्टिक कंज़्यूमरिज़्म) मानसिकता की वजह से अपनी स्वतंत्रता खोकर ग़ुलाम हो जाने की प्रवृत्ति पर यह एक स्मरणीय टिप्पणी है.
चार मित्र व शिकारी- हितोपदेश की प्रेरक कहानियां
Moral of the brief hindi story – Hard work with smartness is The important thing to success. Often concentrate on intelligent work.
इमेज कैप्शन, राजेंद्र यादव संकलित इस किताब में उषा प्रियंवदा, कृष्णा सोबती, कमलेश्वर, रेणु और भीष्म साहनी की कहानियाँ संकलति हैं.
कहानी गद्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। यह मानव-सभ्यता के आरंभ से ही किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। भारतीय परंपरा में इसका मूल ‘कथा’ में है। आधुनिक संदर्भों में इसका अभिप्राय अँग्रेज़ी के ‘शॉर्ट स्टोरी मूवमेंट’ से प्रभावित कहानी-परंपरा से है। इसका मुख्य गुण यथार्थवादी दृष्टिकोण है। हिंदी में कहानी का आरंभ अनूदित कहानियों से हुआ, फिर ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रकाशन के साथ मौलिक कहानियों का प्रसार बढ़ा। हिंदी कहानी के विकास में प्रेमचंद का अप्रतिम योगदान माना जाता है। प्रेमचंदोत्तर युग में जैनेंद्र, यशपाल सरीखे कहानीकारों ने नई परंपराओं का विस्तार किया। स्वातंत्र्योत्तर युग में नए वादों, विमर्शों और आंदोलन के साथ हिंदी कहानी और समृद्ध हुई।
शांति ने ऊब कर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क
(एक) बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक से धुनते हुए, इक्के वाले चंद्रधर शर्मा गुलेरी
लड़के पर जवानी आती देख जब्बार के बाप ने पड़ोस के गाँव में एक लड़की तजवीज़ कर ली। लेकिन जब्बार ने हस्बा की लड़की शब्बू को जो पानी भर कर लौटते देखा, तो उसकी सुध-बुध जाती रही। जैसे कथा कहानी में कहा जाता है कि शाहज़ादा नदी में बहता हुआ सोने का एक बाल यशपाल
मोरल – संत की संगति में दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं।
मोरल – स्वयं की सतर्कता से बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।